रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों सुमिरों शारदा माई अर सुमिरों गुरु अविनाशी को सुमिरों किशन कन्हाई
संगीत............१२३ रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों सुमिरों शारदा माई अर सुमिरों गुरु अविनाशी को सुमिरों किशन कन्हाई रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों सुमिरों शारदा माई अर सुमिरों गुरु अविनाशी को सुमिरों किशन कन्हाई संगीत............१२३ सदा अमर या धरती नी रैंदी मेघ पड़े टूटी जाई सदा अमर या धरती नी रैंदी मेघ पड़े टूटी जाई अमर नी रैंदा चन्द्र सूरज चु चा गरण लगे छिपी जाई रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों सुमिरों शारदा माई अर सुमिरों गुरु अविनाशी को सुमिरों किशन कन्हाई संगीत............१२३ माता रोवे जनम जनम को बैण रोवे छे मासा माता रोवे जनम जनम को बैण रोवे छे मासा तिर्या रोये डेढ़ घडी को आन करे घर बासा रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों सुमिरों शारदा माई अर सुमिरों गुरु अविनाशी को सुमिरों किशन कन्हाई संगीत............१२३ कागज पतरी सब कोई बांचे करम न बांचे कोई कागज पतरी सब कोई बांचे करम न बांचे कोई राज घरों को राज कुंवर चुचा करणी जोग लिखाई रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों सुमिरों शारदा माई अर सुमिरों गुरु अविनाशी को सुमिरों किशन कन्हाई संगीत........